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Tuesday, February 6, 2024

लोकसभा से पास हुआ पेपर लीक के खिलाफ बिल, 10 साल की जेल और करोड़ों रुपए का जुर्माना जैसे कई सख्त प्रावधान

 

संवाददाता - रोहिणी राजपूत

















अक्सर आपने परीक्षाओं और प्रतियोगी परिक्षाओं में नकल, पेपर लीक जैसे गलत कामों के बारे में सुना होगा। इनसे न सिर्फ नतीजे देरी से आते थे, बल्कि कई बार परीक्षाएं ही रद्द हो जाती थी। लेकिन अब इन सब गलत कामों पर लगाम लगने वाली है। दरअसल, सरकारी भर्ती और प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक और फर्जी वेबसाइट जैसी अनियमितताओं के खिलाफ तीन साल से 10 साल तक की जेल और न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने के प्रावधान वाले लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024' को मंगलवार को लोकसभा ने पारित कर दिया है।


पेपर लीक क्या है?

कुछ लोगों के लिए पेपर लीक होना बहुत साधारण बात हो सकती है, वो सोच सकते हैं कि एक परीक्षा है कुछ बच्चे पेपर दे रहे थे और किसी ने उसे लीक कर दिया लेकिन ऐसा नहीं है। पेपर लीक वो दीमक है जो पूरी युवा पीढ़ी को खोखला बना देता है, पेपर लीक करके गलत लोगों का चयन कराया जाता है, कुछ ऐसे लोग अफसर बनते हैं, डॉक्टर बनते हैं, इंजीनियर जो योग्य नहीं है, इसे आप योग्यता घोटाला भी कह सकते हैं। अयोग्य व्यक्ति पैसे खर्च करके पेपर लीक के जरिए बिना पढ़े उस जगह पर पहुंच जाता है, जिसके योग्य वो है ही नहीं।

अगर कोई अयोग्य व्यक्ति पेपर लीक की मदद से डॉक्टर बन जाएगा तो क्या ऑपरेशन करेगा, कोई अयोग्य व्यक्ति इंजीनियर बन जाएगा तो वो किस तरह के पुल बनाएगा, कैसी इमारतें बनाएगा। तो पेपर लीक कोई छोटा-मोटा अपराध नहीं है बल्कि ये पूरी की पूरी पीढ़ी को बर्बाद करने की इंडस्ट्री है। जिसमें हर साल करोड़ों रुपए, दांव पर लगते हैं और कुछ लोग देश की इस बर्बादी के बदले तिजोरियां भरते हैं।















केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ये विधेयक लोकसभा में पेश किया। उन्‍होंने कहा, 'अभी केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों के पास परीक्षाओं में पेपर लीक या नकल जैसे अपराधों से निपटने के लिए कोई ठोस कानून नहीं है। इसलिए यह जरूरी है कि परीक्षा प्रणाली की कमजोरियों का फायदा उठाने वालों की पहचान की जाए और उनसे सख्‍ती से निपटा जाए।'

 

4 साल तक के लिए एग्जाम सेंटर होगा सस्पेंड:

अगर किसी गड़बड़ी में एग्‍जाम सेंटर की भूमिका पाई जाती है तो उस सेंटर को 4 साल के लिए सस्‍पेंड किया जाएगा। यानी उस सेंटर को अगले 4 साल तक के लिए कोई भी सरकारी एग्जाम कराने का अधिकार नहीं होगा।

इसके अलावा परीक्षा में गड़बड़ी कराने में मिलीभगत पाए जाने पर सेंट्रल एजेंसी पर भी 1 करोड़ तक का जुर्माना लगेगा। बिल में जेल की सजा का भी प्रावधान है।

















परिक्षाओं में नकल करना अपराध:

उन्होंने कहा, हमारी माता-पिता और बच्चों से अपील है कि बदलते नये युग में प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि के अनुरूप विकसित भारत' के निर्माण में योगदान करने के लिए समर्पित हों।'' विधेयक में कहा गया है, 'प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी का लीक होना', 'सार्वजनिक परीक्षा में अनधिकृत रूप से किसी भी तरीके से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उम्मीदवार की सहायता करना' और 'कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर संसाधन या कंप्यूटर सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करना' किसी व्यक्ति, लोगों के समूह या संस्थानों द्वारा किए गए अपराध हैं।

विधेयक के दायरे में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाएं, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित सभी कम्प्यूटर आधारित परीक्षाएं आएंगी। इसमें नकल पर रोकथाम के लिए न्यूनतम तीन साल से पांच साल तक के कारावास और इस तरह के संगठित अपराध में शामिल लोगों को पांच से 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। प्रस्तावित कानून में न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।


करियर के विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा:

 कानून के नियम बनाते समय सरकार की योजना विशेषज्ञों की एक ऐसी समिति बनाने की है जो प्रौद्येागिकी के आधार पर इसे समय समय पर अद्यतन करे और जानकारी बढ़ाएं। सिंह ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि योग्यता, प्रतिभा और परिश्रम के आधार पर उन्हें अवसर मिलने चाहिए और नई शिक्षा नीति के तहत उन्हें हर तरह के विषय पढ़ने और करियर के विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा।















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