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Saturday, February 3, 2024
1971 में पाक को खदेड़ बांग्लादेश बनाने वाले, निडर साहसी सैम बहादुर की कहानी
यह कहानी हैं भारत माता के वीर सपूत सैम बहादुर की, जिनके सीने से निकली हर सांस जय हिंद का सुर लगाती थी।
जापानी सैनिक द्वारा मशीन गन से फायर की गई 9 गोलियां सैम मानिकशॉ के lungs, stomach, liver, intestine और kidneys को छेद करते हुए आर–पार हो गई, मगर ऐसी हालत के बावजूद भी सैम 36 घंटो तक युद्ध के मैदान पर Unconscious State में पड़े रहें।
बता दे की, 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान पारसी समाज के सैम बहादुर के पास यह मौका था कि, वह चाहते तो पाकिस्तान आर्मी जॉइन कर सकते थे लेकिन उन्होंने इंडियन आर्मी को ही चुना।
जब साल 1971 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से लड़ाई के लिए तैयार रहने पर सवाल किया था। इस बात के जवाब में सैम मानेकशॉ ने कहा था, ‘आई एम ऑलवेज रेडी, स्वीटी।
1972 में मानिकशॉ को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया और 1973 में उन्हें फील्ड मार्शल से नियुक्त किया गया।
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