My Blog List

Wednesday, May 29, 2024

वीर सावरकर की वीरगाथाः काले पानी की सजा से लेकर स्वतंत्रता के संघर्ष तक

 संवाददाता - रोहिणी राजपूत




वीर सावरकर, जिनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था, भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर गांव में हुआ था। सावरकर का जीवन देशभक्ति और संघर्ष की मिसाल है।
सावरकर की शिक्षा में बहुत रुचि थी और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नासिक में पूरी की। इसके बाद उन्होंने पुणे के फग्र्युसन कॉलेज से स्नातक किया। उच्च शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड गए और वहाँ उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वहीं पर उन्होंने 'फ्री इंडिया सोसाइटी की स्थापना की और भारतीए छात्राओं को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया।
वीर सावरकर का सबसे महत्वपूर्ण योगदान 1857 के स्वतंत्रता संग्राम पर लिखी गई पुस्तक 'द फर्स्ट वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस' है, जिसमें उन्होंने इस संग्राम को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम बताया। इस पुस्तक ने भारतीय युवाओं में स्वतंत्रता की भावना जगाई और अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की लहर को तेज किया।











वीर सावरकर का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। उनकी बहादुरी और राष्ट्रभक्ति के कई किस्से हैं, लेकिन अंडमान की सेल्यूलर जेल की कालकोठरी में उनकी एक विशेष वक्तव्य हैं जो बहुत कम लोग जानते हैं।
1909 में, सावरकर को अंग्रेजी सरकार के खिलाफ षड्यंत्र करते और देशद्रोही गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उन्हें काले पानी की सजा सुनाई गई और अंडमान के सैल्यूलर जेल भेजा गया। वहाँ उन्होंने 10 साल कठोर कारावास में बिताए। जेल में भी उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों को नहीं छोड़ा और लगातार स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरणा देते रहे।
अग्रेजी हुकू‌मत उनके क्रांतिकारी गतिविधियों से परेशान थी। 1909 में, उन्हें नासिक कांस्पिरेसी केस से गिरफ्तार कर लिया गया और 1910 में उन्हें काले पानी की सजा सुनाई गई। सावरकर
को अंडमान और निकोबार ‌द्वीप समूह की कुख्यात सेल्यूलर जेल में भेज दिया गया। यह जेल भारत की सबसे कठोरतम जेल मानी जाती थी, जहाँ पर राजनैतिक कैदियों को अमानवीय यातनाएं दी जाती थीं।













सेल्युलर जेल की कठोरतम परिस्थितियों में भी सावरकर ने हार नहीं मानी। एक दिन, उन्हें अपनी कालकोठरी में अकेले बैठकर स्वतंत्रता संग्राम की योजनाएँ बनाने का विचार आया। लेकिन समस्या यह थी कि जेल में लिखने की सामग्री नहीं थी। तब उन्होंने अपनी तीव्र बु‌द्धि का इस्तेमाल किया और जेल की दीवारों की ही कागज और अपनी नाखूनों को कलम बना लिया।
सावरकर ने जेल की दीवारों पर अपनी कविताएँ और लेख लिखना शुरु किया। उनकी कविताएँ इतनी प्रभावशाली थी कि उनके साथी कैदी भी उनसे प्रेरणा लेते थे। वे अपनी कविताओं में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्व और देशभक्ति की भावना को उकेरते थे। उनकी एक प्रसिद्ध कविता "ने मजसी ने परत मातृभूमीला, सागरा प्राण तळमळला' ने जेल के अंदर भी आजादी की लौ जलाए रखी।














जेलर और गार्ड्स ने जब दीवारों पर लिखी हुई कविताएँ देखी, तो उन्होंने सावरकर को और कठोर दंड देने का प्रयास किया। लेकिन सावरकर का हौसला और उनकी राष्ट्रभक्ति की भावना को वे तोड़ नहीं पाए। सावरकर ने जेल में अपने दस साल के कारावास के दौरान अनेक रचनाएँ की, जिन्हें बाद में उनके अनुयायियों ने प्रकाशित किया।
सावरकर की यह अदम्य इच्छा शक्ति और संघर्ष की भावना ने न केवल उनके साथी कैदियों को बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित किया। उन्होंने अपने अ‌द्वितीय और साहसी कार्यों से साबित कर दिया कि सच्चे देशभक्त को कोई भी बाधा रोक नहीं सकती।



जेल से रिहा होने के बाद भी सावरकर ने समाज सुधार और हिंदू महासभा के माध्यम से देश की सेवा की। वे एक सच्चे राष्ट्रभक्त थे, जिन्होंने भारतीय समाज को एकता और समानता का संदेश दिया। उनका जीवन संघर्ष, त्याग और देशभक्ति की अ‌द्वितीय मिसाल है।
26 फरवरी 1966 को वीर सावरकर का निधन हो गया, लेकिन उनका योगदान और उनकी देशभक्ति आज भी हमें प्रेरित करती है। वीर सावरकर का नाम भारतीय इतिहास में सदैव अमर रहेगा। वे एक महान क्रांतिकारी, लेखक और समाज सुधारक के रूप में सदैव स्मरणीय रहेंगे।




























Tuesday, May 21, 2024

"Capturing Life's Essence: Lensman Pradeep's Campaign Unveiled"

 











"Behind the Lens: Namaste PR campaign panelists in action."


Delhi Metropolitan Education, Noida 62, May 14th, 2024: In a captivating event held at Delhi Metropolitan Education, Noida 62, the Namaste PR team unveiled their latest campaign in collaboration with renowned photographer Lensman Pradeep. The press conference, attended by esteemed members of the press, provided an insightful glimpse into the inspiration and objectives driving this innovative venture.


Lensman Pradeep, revered for his expertise in celebrity photography spanning five years, took the stage to articulate the ethos behind the campaign. His passion for encapsulating life's essence through the lens resonated as he elaborated on the narrative power of each photograph.



Journalists engaged in a lively Q&A session, delving into the intricacies of the campaign. Rohini Rajpoot from Zee News probed Lensman Pradeep's illustrious career, drawing insights into his journey of capturing luminaries like Ranbir Kapoor, Rajkumar Rao, Kriti Sanon, and others.


Srijan from Dainik Jagran sought clarification on the campaign's necessity, prompting Lensman Pradeep to illuminate the aspiration to broaden his audience beyond celebrities, citing time constraints as a driving factor.


Kanak from AAJ TK delved into the campaign's core objectives, with Samiksha Tiwari, Associate Photographer, delineating the focus on delivering exceptional services, fostering a robust brand identity, and implementing effective marketing strategies. 












Kanishka Rajora from Doordarshan scrutinized the campaign's outcomes, to which Navya Saxena, Assistant Photographer, affirmed the resounding success achieved through meticulous planning and unwavering dedication.


The press conference culminated with expressions of gratitude from the moderator to Lensman Pradeep and the attending journalists. As the event concluded, it underscored the collaborative spirit driving the Namaste PR campaign and set the stage for a new chapter in the world of photography.


For further inquiries or interviews, please contact the Namaste PR team.























Sunday, April 14, 2024

राम हमें द्वेष करना नहीं, द्वेष ख़त्म करना सिखाते है : डॉ. कृष्ण गोपाल*

 










नोएडा:  प्रेरणा शोध संस्थान न्यास, द्वारा भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर में प्रेरणा विमर्श अथिति वक्ता  मिलन समारोह का आयोजन किया गया। मिलन समारोह में प्रेरणा विमर्श के सभी अथितियों ने संवाद के माध्यम से अपने-अपने अनुभवों को साझा किय। इस कार्यक्रम में मुख्य अथिति  सह सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा की आगे एक लंबी यात्रा है और उसकी तैयारी हमें करनी होगी। हमारा देश विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता और संस्कृति वाला देश है। वहीं उन्होंने बताया कि कैसे बाहरी लोगों ने भारत को अपने विचारों के जरिए भ्रमित किया और आज भारत में एक ऐसा समुदाय बन गया है जो अब उनकी ही भाषा बोलने लगा है।















मुख्य अथिति डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि जो लोग दुख के साथ यहां आए थे उन्हें हिंदुओं ने ही इस देश में बसाया है। हिंदुत्व की अंतरात्मा ही अध्यात्म है। वहीं पूर्व वीसी चौधरी चरण सिंह विश्व विद्यालय प्रोफेसर नरेंद्र तनेजा जी कहा की जहां लोग खुद को हिंदू कहने से डरते थे वहीं आज वो खुद को गौरवान्वित हिंदू बताते हैं। हिंदुत्व का उदार रूप, सर्वव्यापक रूप पूरे विश्व में स्थापित हुआ है। हमारे यहां हिंदुइज्म का स्थान नहीं है हिंदुत्व का स्थान है। साथ ही उन्होंने कहा हिंदुत्व समाज और मानव विकास का सबसे बड़ा तत्व है।कार्यक्रम के सायोजक डॉ. अनिल त्यागी व मंच का संचालन डॉ. नीलम व डॉ. प्रियंका के द्वारा किया गया।

 

 द्वित्य सत्र  













प्रेरणा शोध संस्थान न्यास द्वारा भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर में गोष्ठी एवं प्रेरणा विमर्श 2023 की स्मारिका विमोचन का आयोजन किया गया। मंच पर उपस्थित अतिथि डॉ. कृष्ण गोपाल, सह सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, माननीय सूर्यप्रकाश टोंक जी, क्षेत्र संघचालक, सुप्रसिद्ध लोकगायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी जी उपस्थित रहीं।
मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री कृष्ण गोपाल जी ने वहां उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई तथा अपने उद्बोधन में कहा की ये केवल मंदिर नही है, ये लोगो की आत्मा का संरक्षण है। राम हमे द्वेष करना नही, द्वेष खत्म करना सिखाते है।
वहीं कार्यक्रम में उपस्थित प्रसिद्ध लोकगायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी जी ने श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर अपने अनुभवों को प्रस्तुत करते हुए उन्होंने अपने बचपन में राम मंदिर के निर्माण के संघर्षों को आँखों देखा और कानों सुने, उस वक्त के राम भक्तों का संघर्ष और दर्द, अपने मार्मिक शब्दों के द्वारा अभिव्यक्त करा। बताया कि २२ जनवरी २०२४ राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा लोगों के लिए एक नया जन्म था, वह दिन सबसे सुंदर, सौम्य और पूरे विश्व के लिये सौभाग्यशाली दिन था। उन्होंने कहा कि जो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में उपस्थित था उसमें प्रभु श्री राम की छवि परिलिक्षित हो रही थी । राम मंदिर के इतिहास और प्राण प्रतिष्ठा के अनुभवों को बताते हुए वह भावुक भी हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली मानती है कि उन्हें राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में गीत गाने का अवसर मिला और उन्हीं कुछ गीतों की पंक्तियाँ कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अपनी गायकी से सभा को मनमोहित किया।अंतिम पंक्तियों में उन्होंने बोला की भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का पूरा श्रेय माता जानकी को जाता है और इसलिए समाज में मातृशक्ति पूजनीय और समानिये मानी जाती है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि मालिनी अवस्थी द्वारा सेक्टर 62 स्थित प्रेरणा भवन में वृक्षारोपण भी किया गया। 
सूर्यप्रकाश टोंक जी ने भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के अनुभवों को मंच से साझा किया और कहा कि जो उन्होंने वहाँ मंदिर में महसूस करा था वह हर भारतीय ने अपने घर बैठकर भी गौरवान्वित किया।














प्रेरणा शोध संस्थान न्यास की अध्यक्ष श्रीमती प्रीति दादू जी ने मंच आसीन एवं कार्यक्रम में आए सभी अथितियों का धन्यवाद ज्ञापन किया तथा कहा जो भी सुझाव आज इस संवाद के माध्यम से हमें प्राप्त हुए है उन सब पर प्रेरणा की ओर से ध्यान देकर कार्य किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मोनिका चौहान जी द्वारा किया गया।


कार्यक्रम के सायोजक डॉ. शुभ्रांशु झा जी व मंच के संचालक मोनिका चौहान जी के द्वारा किया गया। प्रेरणा विमर्श 2023 की स्मारिका के विमोचन के साथ ही प्रेरणा विचार पत्रिका का भी विमोचन हुआ।


कार्यक्रम में उपस्थित रहे सभी गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने आज के कार्यक्रम की शोभा बढ़ाकर उसको सफल बनाया, व स्वयं को प्रेरणा विमर्श से जुड़े रहने के लिए भाग्यशाली बताया। इस कार्यक्रम के दौरान यह गणमान्य लोग उपस्थित रहे - कृपाशंकर जी संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख, प्रदीप जोशी जी अखिल भारतीय सहप्रचार प्रमुख, मधुसूदन दादू, महेंद्र जी, क्षेत्र प्रचारक पश्चिमी उत्तर प्रदेश, श्री सुभाष जी पुर्वी क्षेत्र सह प्रचार प्रमुख, श्री डॉ सुभाष जी पूर्व सूचना आयुक्त उत्तर प्रदेश, डॉ. मनमोहन सिंह जी, शिक्षक गौतमबुद्ध विश्व विद्यालय, डॉ. अनिल त्यागी जी प्रान्त सहप्रचार प्रमुख मेरठ प्रान्त।
























Sunday, March 31, 2024

स्प्रिंग डेल्स पब्लिक स्कूल का वार्षिकोत्सव: महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा

 रोहिणी राजपूत











*वसुंधरा:* स्प्रिंग डेल्स पब्लिक स्कूल ने 30 मार्च 2023 को अपने 26वें वार्षिकोत्सव एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया। इस समारोह में नगर निगम के महापौर, राष्ट्रीय कवि एवं पत्रकार और स्कूल के बोर्ड सदस्यों सहित, नारी सशक्तिकरण के कई प्रतिष्ठित अतिथियों को आमंत्रित किया गया। इस समारोह में सभी विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को आमंत्रित किया गया था।
















 समारोह का आयोजन सुबह 11:00 बजे किया गया, जिसमें स्कूल के डायरेक्टर द्वारा प्रारंभिक भाषण दिया गया और विशेष अतिथियों द्वारा दिया प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई। डॉक्टर उदय रस्तोगी ने विद्यालय के उत्थान की कहानी को साझा करते हुए परिश्रम, संघर्ष, और सफलता का महत्व बताते हुए कहते हैं किस तरह विद्यालय को 1998 में शुरु किया, तब केवल 40 विद्यार्थी हुआ करते थे और आज एक हजार से भी ज्यादा छात्र छात्राएं हैं। महिला सशक्तिकरण के महत्व पर भी बल दिया।



















सुनील शर्मा चेयरमैन, प्रदीप शर्मा मैनेजर, स्प्रिंग डेल्स पब्लिक स्कूल ने समारोह में कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों का स्वागत किया, जैसे कि डॉ रिचा सूद, डॉ सुरुचि सैनी, श्रीमती निशि अग्रवाल, डॉ अलका अग्रवाल।

 इस वर्ष के वार्षिकोत्सव का विषय _*‘महिला सशक्तिकरण’*_ रखा गया था, जिस पर निधि रस्तोगी ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से जागरूकता बढ़ाई।















इस वार्षिकोत्सव एक महत्वपूर्ण कदम रहा महिला सशक्तिकरण की दिशा में, जो समाज में समानता और समृद्धि की दिशा में अग्रसर होने में सहायक हो सकता है। कार्यक्रम के पहले भाग में किंडरगार्टन से कक्षा 5 तक के छात्रों ने अपने सुंदर नृत्य और नाटक प्रदर्शन से सभी का मनोरंजन किया। वरिष्ठ छात्रों द्वारा महिला सशक्तिकरण पर नाट्य और नृत्य प्रस्तुत किया। इस मनमोहक प्रदर्शन को देखकर दर्शकों ने खड़े होकर तालियाँ बजाई और बहुत प्रशंसा भी की। इसके तुरंत बाद, स्कूल के छात्रों ने भारत की विवधताओ कि प्रस्तुति दी, हर राज्य के लोकनृत्य को दर्शाते हुए, भरतनाट्यम, गुज़राती, लावणी, राजस्थानी, उत्तराखंडी, भांगड़ा आदि नृत्य प्रस्तुत किया और सभी को थिरकने पर मजबूर कर दिया। गायन मंडली ने सुन्दर मधुर गीतों से दर्शकों एवं गणमान्य व्यक्तियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। माता-पिता मंच पर प्रस्तुति दे रहे अपने बच्चों का हौसला बढ़ाते रहे। छात्रों द्वारा तीन घंटे के शानदार प्रदर्शन के बाद, कार्यक्रम का समापन गणमान्य अतिथियों द्वारा छात्र छात्राओं को पुरुस्कार वितरण और धन्यवाद प्रस्ताव देने और वार्षिक दिवस समारोह में उपस्थित सभी लोगों को हार्दिक बधाई देने के साथ हुआ।






















Monday, March 11, 2024

देश में CAA लागू, केंद्र ने जारी की अधिसूचना, तीन मुल्कों के छह प्रवासी समुदायों को मिलेगी नागरिकता

 

रोहिणी राजपूत











नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) नियमों की अधिसूचना आज सोमवार को जारी हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सोमवार को शाम छह बजे सीएए के नियमों को लेकर अधिसूचना जारी की गई है। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) नियमों की अधिसूचना जारी होना केंद्र सरकार का बड़ा फैसला है।


*नागरिकता संशोधन कानून क्या है?*

सबसे पहले यह स्‍पष्‍ट कर दिया जाए कि यह कानून भारत के किसी नागरिक को उसकी नागरिकता से वंचित नहीं करता है और न ही यह किसी को नागरिकता देता है। यह कानून किसी भारतीय के लिए है ही नहीं।















*सीएए कानून कब पारित हुआ ?*

सीएए दिसंबर 2019 में पारित हुआ था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए। यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका है क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अधिसूचित किया जाना है।


*CAA के अनुसार किसे मिलेगी भारतीय राष्ट्रीयता?*

सीएए नियम जारी होने के बाद जो लोग बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे केवल उन्हें ही केंद्र सरकार द्वारा भारतीय राष्ट्रीयता दी जाएगी।
















*CAA में कौन से धर्म शामिल हैं?*

CAA में छह गैर-मुस्लिम समुदायों हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शामिल हैं। इन्हें केवल भारतीय नागरिकता तब ही मिल सकती है, जब इन्होंने 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में शरण ली हो।


*क्या ये कानून मुस्लिमों के खिलाफ है?*

भारत सरकार का कहना है कि ये कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है। जो भी भारत में है अत्याचार के चलते आया है, उसे वापस उसी जगह भेजा जाएगा। इसका मतलब ये नहीं माना जाना चाहिए कि वो कभी यहां नागरिकता के योग्य होंगे। वो लोग जिनके अत्याचार स्थायी हैं, उन्हें सुरक्षा दी जाएगी। हमारी नीति गैर समावेश की जारी रहेगी। अगर चीजें अगले 50 सालों में शरणार्थियों के लिए बेहतर नहीं होती तो हमें अतिरिक्त तदर्थ संविधान के कानून की तरह उनकी सुरक्षा को बढ़ाने की जरूरत होगी। लेकिन फिलहाल ये इस सरकार की नीति नहीं है।



















Tuesday, February 6, 2024

लोकसभा से पास हुआ पेपर लीक के खिलाफ बिल, 10 साल की जेल और करोड़ों रुपए का जुर्माना जैसे कई सख्त प्रावधान

 

संवाददाता - रोहिणी राजपूत

















अक्सर आपने परीक्षाओं और प्रतियोगी परिक्षाओं में नकल, पेपर लीक जैसे गलत कामों के बारे में सुना होगा। इनसे न सिर्फ नतीजे देरी से आते थे, बल्कि कई बार परीक्षाएं ही रद्द हो जाती थी। लेकिन अब इन सब गलत कामों पर लगाम लगने वाली है। दरअसल, सरकारी भर्ती और प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक और फर्जी वेबसाइट जैसी अनियमितताओं के खिलाफ तीन साल से 10 साल तक की जेल और न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने के प्रावधान वाले लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024' को मंगलवार को लोकसभा ने पारित कर दिया है।


पेपर लीक क्या है?

कुछ लोगों के लिए पेपर लीक होना बहुत साधारण बात हो सकती है, वो सोच सकते हैं कि एक परीक्षा है कुछ बच्चे पेपर दे रहे थे और किसी ने उसे लीक कर दिया लेकिन ऐसा नहीं है। पेपर लीक वो दीमक है जो पूरी युवा पीढ़ी को खोखला बना देता है, पेपर लीक करके गलत लोगों का चयन कराया जाता है, कुछ ऐसे लोग अफसर बनते हैं, डॉक्टर बनते हैं, इंजीनियर जो योग्य नहीं है, इसे आप योग्यता घोटाला भी कह सकते हैं। अयोग्य व्यक्ति पैसे खर्च करके पेपर लीक के जरिए बिना पढ़े उस जगह पर पहुंच जाता है, जिसके योग्य वो है ही नहीं।

अगर कोई अयोग्य व्यक्ति पेपर लीक की मदद से डॉक्टर बन जाएगा तो क्या ऑपरेशन करेगा, कोई अयोग्य व्यक्ति इंजीनियर बन जाएगा तो वो किस तरह के पुल बनाएगा, कैसी इमारतें बनाएगा। तो पेपर लीक कोई छोटा-मोटा अपराध नहीं है बल्कि ये पूरी की पूरी पीढ़ी को बर्बाद करने की इंडस्ट्री है। जिसमें हर साल करोड़ों रुपए, दांव पर लगते हैं और कुछ लोग देश की इस बर्बादी के बदले तिजोरियां भरते हैं।















केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने ये विधेयक लोकसभा में पेश किया। उन्‍होंने कहा, 'अभी केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों के पास परीक्षाओं में पेपर लीक या नकल जैसे अपराधों से निपटने के लिए कोई ठोस कानून नहीं है। इसलिए यह जरूरी है कि परीक्षा प्रणाली की कमजोरियों का फायदा उठाने वालों की पहचान की जाए और उनसे सख्‍ती से निपटा जाए।'

 

4 साल तक के लिए एग्जाम सेंटर होगा सस्पेंड:

अगर किसी गड़बड़ी में एग्‍जाम सेंटर की भूमिका पाई जाती है तो उस सेंटर को 4 साल के लिए सस्‍पेंड किया जाएगा। यानी उस सेंटर को अगले 4 साल तक के लिए कोई भी सरकारी एग्जाम कराने का अधिकार नहीं होगा।

इसके अलावा परीक्षा में गड़बड़ी कराने में मिलीभगत पाए जाने पर सेंट्रल एजेंसी पर भी 1 करोड़ तक का जुर्माना लगेगा। बिल में जेल की सजा का भी प्रावधान है।

















परिक्षाओं में नकल करना अपराध:

उन्होंने कहा, हमारी माता-पिता और बच्चों से अपील है कि बदलते नये युग में प्रधानमंत्री की दूरदृष्टि के अनुरूप विकसित भारत' के निर्माण में योगदान करने के लिए समर्पित हों।'' विधेयक में कहा गया है, 'प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी का लीक होना', 'सार्वजनिक परीक्षा में अनधिकृत रूप से किसी भी तरीके से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उम्मीदवार की सहायता करना' और 'कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर संसाधन या कंप्यूटर सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करना' किसी व्यक्ति, लोगों के समूह या संस्थानों द्वारा किए गए अपराध हैं।

विधेयक के दायरे में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाएं, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित सभी कम्प्यूटर आधारित परीक्षाएं आएंगी। इसमें नकल पर रोकथाम के लिए न्यूनतम तीन साल से पांच साल तक के कारावास और इस तरह के संगठित अपराध में शामिल लोगों को पांच से 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। प्रस्तावित कानून में न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।


करियर के विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा:

 कानून के नियम बनाते समय सरकार की योजना विशेषज्ञों की एक ऐसी समिति बनाने की है जो प्रौद्येागिकी के आधार पर इसे समय समय पर अद्यतन करे और जानकारी बढ़ाएं। सिंह ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि योग्यता, प्रतिभा और परिश्रम के आधार पर उन्हें अवसर मिलने चाहिए और नई शिक्षा नीति के तहत उन्हें हर तरह के विषय पढ़ने और करियर के विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा।















Saturday, February 3, 2024

1971 में पाक को खदेड़ बांग्लादेश बनाने वाले, निडर साहसी सैम बहादुर की कहानी

 संवाददाता - रोहिणी राजपूत


















Field Marshal Sam Manekshaw भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ का जन्म 3 अप्रैल 1914 को हुआ था। आइए जानते है एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जिसने इंडियन आर्मी के इतिहास में अपना नाम दर्ज़ किया और इसे मिटा पाना नामुमकिन है। एक ऐसे शख्स जो निडर, साहसी और अत्याधिक बहादुर किस्म के थे, जिन्हें ना तो अपने पद की चिंता थी, ना ही पदवी की, चिंता थी तो बस हिंदुस्तान की। यह वह नाम है जो ना तो दुश्मनों की गोलियों से डरा और ना ही इन्दिरा गांधी जैसी एकाधिकारी रखने वाली लीडर से।

यह कहानी हैं भारत माता के वीर सपूत सैम बहादुर की, जिनके सीने से निकली हर सांस जय हिंद का सुर लगाती थी। 
सैम का जन्म ही एक आर्मी मैन बनने के लिए हुआ था। एक ऐसा आर्मी मैन जो निडर, निर्भीक और मौत की आंखों में आंखे डालकर दुश्मन से लोहा लेने का जज़्बा रखता था।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर और शेरवुड कॉलेज नैनीताल में हुई थी। मानेकशॉ भारतीय सैन्य अकादमी के लिए चुने जाने वाले 40 कैडेटों के पहले बैच के थे और उन्हें 4 फरवरी 1934 को 12 एफएफ राइफल्स में कमीशन किया गया था। 


बर्मा के खिलाफ लिया था युद्ध में भाग

इसका परिचय सैम बहादुर ने Second World War में 1942 में दिया। उस दौरान युद्ध के हालात और shortage of staff को देखते हुए मानेकशॉ को प्रमोशन दिया, इस जिम्मेदारी के साथ ब्रिटिश इंडिया आर्मी के यंग कैप्टन के रूप में बर्मा में नियुक्त किया गया। इसी दौरान वह बर्मा में Sittang River के किनारे  जापानी आर्मी से लोहा ले रहे थे। जहां दोनों दलो के बीच काफी भीषण युद्ध छिड़ा हुआ था।



द्वितीय विश्व युद्ध में लगी थीं 9 गोलियां

 जापानी सैनिक द्वारा मशीन गन से फायर की गई 9 गोलियां सैम मानिकशॉ के lungs, stomach, liver, intestine और kidneys को छेद करते हुए आर–पार हो गई, मगर ऐसी हालत के बावजूद भी सैम 36 घंटो तक युद्ध के मैदान पर Unconscious State में पड़े रहें।
उसके बाद उनके सिख बटालियन के भारतीय सिपाही शेर सिंह ने उन्हें अपने कंधे पर टांग कर पास के मेडिकल कैंप में ले गए, सैम की हालत देखकर डॉक्टर ने अपने हाथ खड़े कर दिए और इसे फिनिश केस घोषित कर दिया।
लेकिन सिपाही शेर सिंह डॉक्टर से सैम बहादुर को ठीक करने की मिन्नते मांगते रहे। इसी दौरान अचानक सैम को होश आ गया। कैंप में मौजूद सर्जन ने आश्चर्यजनक होकर शेर सिंह से पूछा– आखिर इसे हुआ क्या? सैम ने बहुत ही मजाकिया अंदाज में जवाब दिया और मुस्कुराते हुए बोले "डॉक्टर मुझे गधे ने लात मार दी है।"


बता दे की, 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान पारसी समाज के सैम बहादुर के पास यह मौका था कि, वह चाहते तो पाकिस्तान आर्मी जॉइन कर सकते थे लेकिन उन्होंने इंडियन आर्मी को ही चुना।
इसके बाद उन्हें गोरखा राइफल्स में तैनात कर दिया गया, जहां सोल्जर में सैम मानेकशॉ के नाम को एक नाम दिया था "सैम बहादुर"। सैम बहादुर ने कई जंग में अपनी अहम भूमिका निभाई चाहे वह समय जब पाकिस्तान ने ट्राइबल रिबेलियंस की आड़ में कश्मीर घाटी पर हमला कर दिया हो या 1962 में INDO–SINO का युद्ध हों, जहां भारत की सेना बैकफुट पर थी। इसी बीच तेजी से बदलती घटनाक्रम के चलते कमांडिंग के 4 कॉप्स जनरल ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल ब्रिज मोहन कॉल को हटाकर नॉर्थ ईस्ट का मोर्चा संभालने खुद जनरल सैम मानेकशॉ को भेजा गया।




























इंदिरा गांधी का विरोध करने में सबसे आगे

जब साल 1971 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम मानेकशॉ से लड़ाई के लिए तैयार रहने पर सवाल किया था। इस बात के जवाब में सैम मानेकशॉ ने कहा था, ‘आई एम ऑलवेज रेडी, स्वीटी।
1971 की लड़ाई में इंदिरा गांधी चाहती थीं कि वह मार्च में ही पाकिस्तान पर चढ़ाई कर दें, लेकिन सैम ने ऐसा करने से इनकार कर दिया, क्योंकि भारतीय सेना हमले के लिए तैयार नहीं थी।
इंदिरा गांधी इससे नाराज हुईं थी। मानेकशॉ ने पूछा कि अगर आप युद्ध जीतना चाहती हैं तो मुझे छह महीने का समय दीजिए। मैं गारंटी देता हूं कि जीत हमारी ही होगी।
3 दिसंबर को फाइनली वॉर शुरू हुआ। सैम ने पाकिस्तानी सेना को सरेंडर करने को कहा, लेकिन पाकिस्तान नहीं माना। 14 दिसंबर, 1971 को भारतीय सेना ने ढाका में पाकिस्तान के गवर्नर के घर पर हमला कर दिया।
इसके बाद 16 दिसंबर को ईस्ट पाकिस्तान आजाद होकर ‘बांग्लादेश’ बन गया। इसी जंग में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण भी किया।


1972 में मानिकशॉ को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया और 1973 में उन्हें फील्ड मार्शल से नियुक्त किया गया।
27 जून, 2008 को सैम बहादुर (94) वर्ष की आयु में निमोनिया से लड़ते हुए परमात्मा में विलीन हो गए। भारतीय इतिहास में सैम मानिकशॉ उर्फ सैम बहादुर के जज्बे को कोई तोड़ नहीं सकता क्योंकि उनके आखिरी शब्द– "आई एम ओके" थे।

















Friday, January 26, 2024

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मू का संबोधन: राम मंदिर, G–20, महिला आरक्षण, कर्पूरी ठाकुर का भी किया जिक्र

 

   संवाददाता - रोहिणी राजपूत 























पचहत्तरवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। यह एक युगांतरकारी परिवर्तन का कालखंड है। गणतंत्र दिवस, हमारे आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हमारे गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक भारतवासी एक कुटुंब के रूप में रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े इस कुटुंब के लिए, सह-अस्तित्व की भावना, भूगोल द्वारा थोपा गया बोझ नहीं है, बल्कि सामूहिक उल्लास का सहज स्रोत है, जो हमारे गणतंत्र दिवस के उत्सव में अभिव्यक्त होता है।









कर्पूरी ठाकुर का जीवन एक संदेशः मुर्मू


कर्पूरी ठाकुर का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं यह उल्लेख करना चाहूंगी कि सामाजिक न्याय के लिए अनवरत युद्धरत रहे कर्पूरी ठाकुर जी की जन्म शताब्दी का उत्सव कल ही संपन्न हुआ है। कर्पूरी जी पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे जिन्होंने अपना सारा जीवन उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। उनका जीवन एक संदेश था। अपने योगदान से सार्वजनिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिए मैं कर्पूरी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।




भारत लोकतंत्र की जननीः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू


राष्ट्रपति ने कहा कि मैं देश को शुभकामनाएं देती हूं। कल के दिन हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मनाएंगे। संविधान की प्रस्तावना हम लोग से शुरू होती है। ये शब्द हमारे संविधान के मूल भाव को रेखांकित करते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था पश्चिमी लोकतंत्र की अवधारणा से कहीं अधिक पुरानी है, इसीलिए भारत को ‘लोकतंत्र की जननी' कहा जाता है।





आज का भारत आत्मविश्वास के साथ बढ़ रहा" : गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति


राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक भारतवासी एक कुटुंब के रूप में रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े इस कुटुंब के लिए, सह-अस्तित्व की भावना, भूगोल द्वारा थोपा गया बोझ नहीं।






राम मंदिर न्यायिक प्रक्रिया में देश के लोगों की आस्था का प्रतिक


राष्ट्रपति ने कहा कि इस सप्ताह के आरंभ में हम सबने अयोध्या में प्रभु श्री राम के जन्मस्थान पर निर्मित भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह देखा। भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा, तब इतिहासकार, भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे।






इसरो मिशन: आत्मनिर्भर भारत


 इसरो के मिशन मून की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना। हमें अपने वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों पर सदैव गर्व रहा है, लेकिन अब ये पहले से कहीं अधिक ऊंचे लक्ष्य तय कर रहे हैं और उनके अनुरूप परिणाम भी हासिल कर रहे हैं।













महिला आरक्षण, महिला सशक्तिकरण


महिला आरक्षण पर राष्ट्रपति ने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम', 
महिला सशक्तीकरण का एक क्रांतिकारी माध्यम सिद्ध होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सरकार ने 81 करोड़ से अधिक लोगों को अगले पांच साल तक मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। संभवत:, इतिहास में यह अपनी तरह का सबसे बड़ा जन-कल्याण कार्यक्रम है।
अपनी वाणी को विराम देने से पहले, मैं न्यायपालिका और सिविल सेवाओं के सदस्यों को भी शुभकामनाएं देना चाहती हूं। विदेशों में नियुक्त भारतीय मिशनों के अधिकारियों और प्रवासी भारतीय समुदाय के लोगों को मैं गणतन्त्र दिवस की बधाई देती हूं। आइए, हम सब यथाशक्ति राष्ट्र और देशवासियों की सेवा में स्वयं को समर्पित करने का संकल्प करें। इस शुभ संकल्प को सिद्ध करने के प्रयास हेतु आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं!













Monday, December 18, 2023

स्व' के आत्मबोध से ही भारत बनेगा विश्व गुरु

 

संवाददाता - रोहिणी राजपूत











ग्रेटर नोएडा

 'स्व' के आत्मबोध से ही भारत विश्व गुरु बनेगा, क्योंकि भारत का 'स्व' ही विश्व कल्याण का मार्ग हैं। 'स्व' का आत्मबोध नहीं होने के कारण ही भारत को आक्रांताओं और अंग्रेजों ने आपस में लड़ाया और विभाजन कर भारत पर वर्षों तक शासन किया। यह विचार प्रेरणा विमर्श-2023 के तीसरे दिन आयोजन के समापन समारोह में प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक श्री जे नंद कुमार ने व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आज का युग सोशल मीडिया का युग है, जहां सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के विचार हैं। ऐसे में हमें ध्यान देना होगा कि कहीं हम फेक न्यूज के शिकार ना हो जाएं। हमे सोशल मीडिया पर कोई भी बात लिखने से पहले यह जांच कर लेनी चाहिए कि वह सही है या गलत। सोशल मीडिया पर सनातन धर्म का पक्ष-प्रतिपक्ष की स्थिति विषय पर अपना विचार प्रकट करते हुए नमो एप के टेक्नोक्रेट अनित्य श्रीवास्तव ने कहा कि आज के समय सोशल मीडिया एक अच्छा स्थान है जहां हम अपने धर्म के बारे में लिख सकते हैं। लेकिन हम सोशल मीडिया में क्या बोल रहे हैं, क्यों बोल रहे हैं और किससे बोल रहे हैं इस पर ध्यान देना होगा।












 जब तक हमे अपने स्व का बोध नहीं होगा तब तक हम देश हित में सोशल मीडिया का सही से उपयोग नहीं कर पाएंगे। स्व का बोध होने के लिए हमें अपने धार्मिक ग्रंथ और पुस्तकों को पढ़ना होगा। सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर अपूर्वा सिंह ने कहा कि हमें सोशल मीडिया का उपयोग लोगों को जोड़ने के लिए करना चाहिए और अपने सांस्कृतिक नैतिक मूल्यों के विकास के लिए उपयोग करें, यही सोशल मीडिया की सफलता है।


भारत का 'स्व' वैश्विक चेतना का प्रतीक है। जान में जब जीवन मूल्यों का संस्कार जुड़ता है तो वह विद्या बन जाती है। वहीं अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश पांडेय ने कहा कि ज्ञान, विज्ञान के ऊपर प्रज्ञा है। जो अनुभूति जन्य है, उसी से स्व का आत्मबोध होगा। सत्र के अंतिम वक्ता वरिष्ठ पत्रकार रवि शंकर ने कहा कि आत्मबोध को भारतीय संदर्भ में वेदो उपनिषदों को आधार बनाकर समझना चाहिए। वहीं वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि जो चाहते थे कि भारत के किसान गरीब ही रहे उन्हीं लोगों ने एक एजेंडे के तहत कृषि कानून के खिलाफ माहौल बनाया। इस सत्र के अंतिम वक्ता वरिष्ठ पत्रकार हरीश वर्णवाल ने उदाहरण के माध्यम से एजेंडा सेटिंग पर प्रकाश डाला।
















प्रेरणा विमर्श-2023 दद्वारा आयोजित प्रेरणा चित्र भारती का लीन दिवसीय फिल्मोत्सव सत्र सम्पन्न हुआ। जिसमें देश के अलग-अलग क्षेत्रों से आए 200 से अधिक फिल्मों की स्क्रीनिंग के बाद चयनित फिल्मों के विजेताओं के नाम की घोषणा हुई। चयन समिति ने रचनात्मक डॉक्यूमेंट्री निर्माण प्रतियोगिता में दून फिल्म स्कूल देहरादून के छाव मुकेश कुमार को प्रथम पुरस्कार वहीं हिमालया विश्वविद्यालय के छात्र अनुराग वर्मा को द्वितीय एवं तिलक स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के छात्र लव कुमार को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता में क्वांटम विश्वविद्यालय के छात्र देवास कनल को प्रथम, हिमालया विश्ववि‌द्यालय के छात्र निशांत तंवर को द्वितीय एवं ललित कला अकादमी के छात्र हरिओम को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रेरणा चित्र भारती फिल्मोत्सव एवं रचनात्मक डॉक्यूमेंट्री निर्माण प्रतियोगिता में प्रेरणा सिंह, निर्भय कुमार, छाया सिंह, शिप्रा कुशवाहा, आकांक्षा त्रिपाठी, एवं मौहम्मद हमजा को विशेष पुरस्कार मिला। इस दौरान प्रसिदध फिल्म निर्देशक चितरंजन त्रिपाठी एवं डॉ. ओम प्रकाश सिंह के साथ नवोदित फिल्मकारों के साथ फिल्म निर्देशन और अभिनय के बारे में विस्तार से चर्चा हुई तथा भरतमुनि के भरतनाट्य शास्त्र को पढ़ने की सलाह दी गयी। मीडिया शिक्षक एवं छात्र विमर्श तथा नेशनल कांफ्रेंस के दौरान भारतीय जनसंचार संस्थान के प्रोफेसर डॉ. प्रमोद सैनी ने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपने 'स्व' को भूल गए है हमारा दायित्व है कि भारत के 'स्व' को जगाने के लिए मीडिया के माध्यम से जामवंत की भूमिका का निर्वहन करें। सत्र के दूसरे वक्ता चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि अगर भारत को जानना है तो, भारत को पढ़ने की जरूरत है।
















 इसके लिए भारत के साहित्यकारों, महापुरुषों, भूगोल और भारत से जुड़ी हुई हर बात को जानिए और उसे जनमानस के समक्ष रखिए। हम विश्व के बारे में बहुत कुछ जानते हैं परंतु अपने स्वयं के देश के बारे मैं नहीं। दूसरे सत्र के दौरान हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि मानव जीवन में संवाद का अत्यंत महत्व है। प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनि वर्षों की तपस्या से जो ज्ञान अर्जित करते थे उसे कुंभ आदि मेली में द‌द्वितीय स्तर के तपस्वियों को प्रदान करते थे तथा वे द‌द्वितीय स्तर के तपस्वी समाज में तृतीय स्तर के तपस्वियों को वह सूचना देते थे और इस प्रकार से उनके माध्यम से वह सूचना जनमानस तक पहुंचती थी। भारतीय संवाद कला इसी शास्त्र का अंग है। हमें संवाद शास्त्री बनकर सकारात्मक संवाद स्थापित करना चाहिए। वर्तमान तकनीकी ने हमें एक संदेश को विभिन्न माध्यम से जनमानस के समक्ष रखने की क्षमता प्रदान कर दी है। मीडिया शिक्षक एवं अत्र विमर्श के अंतर्गत नेशनल कांफ्रेंस और पत्रकार प्रतिभा खोज परीक्षा का भी आयोजन हुआ। इस अवसर पर प्रोफेसर ब्रजकिशोर कुठियाला की पुस्तक विचार प्रवाह' का विमोचन हुआ। और शोधार्थियों द्वारा शोध पत्र भी प्रस्तुत हुए।















गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा में चल रहे प्रेरणा विमर्श-2023 के तीसरे दिन चार आयामों के दो सत्रों के साथ समापन समारोह मे वरिष्ठ पत्रकार रुबिका लियाकत की प्रेरणा सम्मान 2023 में सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान मुझे देश विरोधियों से लड़ने का ताकत देता है। समापन सत्र के दौरान दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों से आए पत्रकार, लेखक, मीडिया शिक्षक एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे। विभिन्न जिम में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के प्रचार प्रमुख श्री कृपाशंकर जी, राज्य सभा सांसद श्रीमती कांता कर्दम, गौतम बुद्ध विश्ववि‌द्यालय बेटर नोएडा के कुलपति श्री. रवीन्द्र कुमार सिन्हा जी, रजिस्ट्रार डॉ. विश्वास त्रिपाठी, श्री सूर्य प्रकाश टॉक (संघचालक परिश्धमी आर प्रदेश) प्रेरणा मीडिया विमर्ग-2023 आध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र तनेजा, श्री सुरेन्द्र सिंह (प्रांत प्रचार प्रमुख मेरठ) श्री प्रीतम जी (समन्वयक, सह प्रचार प्रमुख, मेरठ प्रान्त), विभाग प्रचारक कृष्णा जी, प्रेरणा विमर्श के संयोजक प्रोफेसर विशेष गुप्ता, डॉ. प्रियंका सिंह, श्री रवि श्रीवास्तव, विजेन्द्र कुमार, धीरेन्द्र सेभवात्र, डॉ. नीना सिंह, श्री अनित त्यागी जी, श्रीमती सुरभि भदौरिया, श्री मनमोहन सिसोदिया. श्रीमति अनिता जोशी, डॉ. वंदना पां सहित मेरठ प्रांत के अलग-अलग विभागी से आए गणमान्य लोग उपस्थित रहे। वहीं आज के समापन समारोह का संचालन मोनिका चौहान जी ने किया।
















































Sunday, December 3, 2023

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय सभागार में प्रेरणा विमर्श 2023 की कार्य समीक्षा पूरी

 संवाददाता - रोहिणी राजपूत










 ग्रेटर नोएडा स्थित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय सभागार में प्रेरणा विमर्श 2023 की कार्य समीक्षा की गयी। प्रचार विभाग, मेरठ प्रांत/प्रेरणा शोध संस्थान न्यास, नोएडा व गौतम बुद्ध विश्व विद्यालय, ग्रेटर नोएडा के तत्वावधान में होने वाले प्रेरणा विमर्श – 2023 की तैयार को लेकर विस्तृत चर्चा की गयी। कार्यक्रम के दौरान आगामी 15, 16 एवं 17 दिसम्बर को होने वाले ‘स्व’ भारत का आत्मबोध: मीडिया विमर्श एवं फिल्म फेस्टिवल और 10 दिसम्बर को होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस की तैयारी पर कार्यक्रम के सभी समन्वयक एवं संयोजक ने अपनी आयाम से संबंधित तैयारियों का विवरण दिया।














कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के प्रचार प्रमुख श्री कृपाशंकर जी ने प्रेरणा विमर्श 2023 के सभी आयामों के समन्वयक एवं संयोजको से कार्यक्रम की तैयारियों का विवरण लिया तथा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मार्गदर्शन किया। उन्होंने बताया कि हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी प्रेरणा विमर्श कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। यह कॉन्क्लेव तीन दिनों तक चलेगा। तीन दिवसीय यह विमर्श “स्व – भारत का आत्मबोध” विषय पर आधारित है। वहीं कार्यक्रम के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख श्री पदम सिंह जी ने बताया कि यह विमर्श दिनांक 15,16 एवं 17 दिसंबर 2023 को गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा के परिसर में आयोजित होगा। इसमें प्रतिदिन अलग-अलग विषयों पर विमर्श होगा। इस विमर्श में समाज के विशिष्ट लोगों का बौद्धिक मार्गदर्शन प्राप्त होगा।














कार्यक्रम के दौरान आज गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय सभागार में प्रेरणा विमर्श 2023 की सफलता के लिए इससे जुड़े  पत्रकार, समाजसेवी, लेखक, साहित्यकार एवं छात्रों ने अपनी सक्रिय भागीदारी निभायी। इस दौरान प्रेरणा विमर्श – 2023 की तैयारी की समीक्षा की गई। कार्यक्रम के दौरान अलग-अलग आयामों की टोली बैठक भी सम्पन्न हुई। जहाँ कार्यक्रम की सफलता के लिए कार्य योजना एवं अंतिम रूपरेखा की चर्चा और विमर्श हुआ। इस कार्यक्रम में श्री प्रीतम जी (समन्वयक, सह प्रचार प्रमुख, मेरठ प्रान्त), श्रीमती प्रीति दादू जी ( प्रेरणा शोध संस्थान न्यास की अध्यक्ष),  श्री विशेष गुप्ता जी, डॉ. विश्वास त्रिपाठी रजिस्ट्रार गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा, श्रीमती मोनिका चौहान जी सहित मेरठ प्रांत के अलग-अलग विभागों से आए गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
































Monday, November 27, 2023

चीन में फैली रहस्यमयी बीमारी, WHO का अलर्ट, भारत की तैयारी को लेकर बोले स्वास्थ्य मंत्री

  संवाददाता - रोहिणी राजपूत












चीन इन दिनों तेजी से बढ़ती श्वसन संबंधी बीमारी की चपेट में है। इस रहस्यमयी बीमारी ने बच्चों को सबसे पहले चपेट में लिया है, जिससे हड़कंप मच गया। कोरोना महामारी भी चीन से फैली, जिस कारण पूरी दुनिया इस बार फिर से अलर्ट मोड में है।

यह बीमारी माइकोप्लाज्मा निमोनियाऔर इन्फ्लूएंजा फ्लू हैं।


*आखिर क्या है ये बीमारी ….?*

माइकोप्लाज्मा निमोनिया जिसे मिस्टीरियस निमोनिया कहा जा रहा है ये एक प्रकार के बैक्टीरिया के कारण होने वाली समस्या है जो मुख्यरूप से बच्चों को अपना शिकार बनाती है। इसके कारण सूखी खांसी, बुखार और शारीरिक मेहनत करने पर सांस की तकलीफ हो सकती है। माइकोप्लाज्मा निमोनिया के बैक्टीरिया सभी मानव रोगजनकों में से सबसे अधिक प्रचलित हैं।














माइकोप्लाज्मा निमोनिया स्कूल, कॉलेज परिसर और नर्सिंग होम जैसे भीड़-भाड़ वाले इलाकों में खांसने-छींकने से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स के संपर्क से तेजी से फैलता है। पांच साल से कम आयु के बच्चों, बुजुर्गों, कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों, फेफड़ों की बीमारी के शिकार, सिकल सेल एनीमिया वाले लोगों में इसका खतरा अधिक देखा जाता रहा है।
















*भारत की तैयारियों को लेकर बोले, स्वास्थ्य मंत्री*


चीन में विशेषकर बच्चों में माइकोप्लाज्मा निमोनिया और इन्फ्लूएंजा फ्लू के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने शनिवार को कहा, सरकार स्थिति पर नजर रख रही है और बचाव के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे है।
वैश्विक चिंता का कारण बने इस प्रकोप के बारे में पूछे जाने पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, आईसीएमआर और स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक चीन में निमोनिया के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत को इस तरह के जोखिमों से कैसे बचाया जा सकता है, इसपर गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं।































Wednesday, November 15, 2023

भारत की शानदार जीत; विराट ने लगाया शतकों का अर्धशतक, शमी ने रचा इतिहास।

 

      रोहिणी राजपूत 

















ICC वनडे विश्व कप में विजय रथ पर सवार भारतीय टीम सेमीफाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड को 70 रनों से हराकर फाइनल्स में अपनी जगह पक्की की। दोनों टीमें चार साल बाद एक बार फिर से सेमीफाइनल में आमने-सामने थीं। पिछली बार 2019 में कीवी टीम ने करोड़ों भारतीयों का सपना तोड़ दिया था और फाइनल में जगह बनाई थी। इस बार भारत ने न्यूजीलैंड को हराकर पिछली हार का बदला लिया। टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूजीलैंड को 398 रनों का लक्ष्य दिया, इसके जवाब में न्यूजीलैंड ने सिर्फ 327 रन बनाए। 













विराट कोहली ने शतकों का अर्द्धशतक लगाकर इतिहास रच दिया। उन्होंने वनडे करियर का 50वां शतक लगाया। इस मामले में विराट ने महान सचिन तेंदुलकर को पीछे छोड़ दिया।सचिन ने 452 वनडे पारियों में 49 शतक लगाए थे। वहीं, कोहली ने 279वीं पारी में 50 शतक लगा दिए हैं। कोहली ने 113 गेंद में 117 रन की पारी खेली। अपनी पारी में उन्होंने नौ चौके और दो छक्के लगाए। वहीं दूसरी ओर श्रेयस अय्यर ने 70 गेंद पर 105 रन बनाए। कोहली और अय्यर, दोनों ने 128 गेंद पर 163 रन जोड़े. इससे पहले कप्तान रोहित शर्मा ने 29 गेंद पर 47 रन की तूफानी पारी खेल कर भारत को तेज शुरुआत दिलाई, जबकि बीच में रिटायर्ड हर्ट होने वाले शुभमन गिल ने अंतिम ओवर में वापसी की और कुल 66 गेंद पर नाबाद 80 रन की पारी खेली। केएल राहुल 20 गेंद पर 39 रन बना कर नाबाद रहे। पिछले मैच में शतक जड़ने वाले अय्यर ने अपनी उसी लय को बरकरार रखा और अपने घरेलू मैदान वानखेड़े में छक्कों की बौछार करके दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। उन्होंने साउदी पर छक्का लगाने के बाद अगली गेंद पर एक रन लेकर 67 गेंद पर अपना शतक पूरा किया। यह विश्व कप के नॉकआउट चरण में सबसे तेज शतक है। अय्यर इसके बाद बोल्ट की गेंद पर लॉन्ग ऑफ पर कैच देकर पवेलियन लौटे, जिससे भारत 400 रन के पार नहीं पहुंच पाया। अय्यर ने अपनी पारी में चार चौके और आठ छक्के लगाए।












 *शमी का जलवा* 


भारतीय गेंदबाजी की आज पहली ऐसी परीक्षा हुई है जहां बल्लेबाज उनके ऊपर हावी दिखे। मोहम्मद शमी को छोड़कर सभी की पिटाई हुई। मिडिल ओवर्स में स्पिनर्स भी विकेट लेने में नाकामयाब रहे। मानो शमी किसी और गेंद से गेंदबाजी कर रहे थे और बाकी गेंदबाज अलग। शमी ने 9.5 ओवर में 57 रन देकर 7 विकेट लिए। वह आशीष नेहरा के बाद विश्व कप में 6 विकेट लेने वाले दूसरे भारतीय बने। शमी के अलावा कुलदीप यादव को एक ही विकेट मिला, लेकिन उन्होंने 10 ओवर में सिर्फ 56 रन देकर कीवी बल्लेबाजों की रफ्तार को रोक कर रखा। इसके अलावा जसप्रीत बुमराह ने भी स्लॉग ओवर्स में रन रोके और ग्लेन फिलिप्स के रूप में एक विकेट भी लिया।











##ICC नॉकआउट में पहली बार न्यूजीलैंड से जीता भारत

भारतीय टीम पहली बार आईसीसी नॉकआउट में न्यूजीलैंड के खिलाफ जीत दर्ज कर पाई है। इससे पहले तीन मौकों पर भारत को हार ही मिली थी। 2000 चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल, 2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल और 2021 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में न्यूजीलैंड ने भारत को हराया था। अब भारतीय टीम ने इन तीनों हार का बदला लिया और न्यूजीलैंड को हराकर चौथी बार वर्ल्ड कप फाइनल में जगह बनाई है। इससे पहले भारत 1983, 2003 और 2011 में फाइनल खेला है। जिसमें से 1983 और 2011 में टीम दो बार विश्व विजेता भी बनी थी। अब 19 नवंबर को भारत का फाइनल में साउथ अफ्रीका या ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाले सेमीफाइनल की विजेता टीम से मैच होगा। यह मैच अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जाएगा।































वीर सावरकर की वीरगाथाः काले पानी की सजा से लेकर स्वतंत्रता के संघर्ष तक

 संवाददाता - रोहिणी राजपूत वीर सावरकर, जिनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था, भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, और समाज सुधारक थे। उनका...