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Monday, October 23, 2023

बुराई पर अच्छाई की जीत और असत्य पर सत्य की जीत का उत्सव विजय दशमी: दशहरा


 संवाददाता - रोहिणी राजपूत 














बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाने वाला विजयदशमी का त्योहार हर साल बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। वहीं इसके अलावा यह भी माना जाता है कि विजयादशमी के दिन मां दुर्गा ने 9 दिनों के युद्ध के बाद महिषासुर का वध किया और इस तरह अच्छाई की जीत हुई।
आइए विस्तार से जानते हैं दशहरा मानने के मुख्य कारण













1.  माता ने किया था महिषासुर का वध : इस दिन माता कात्यायनी दुर्गा ने देवताओं के अनुरोध पर महिषासुर का वध किया था तब इसी दिन विजय उत्सव मनाया गया था। इसी के कारण इसे विजयादशमी कहा जाने लगा। विजया माता का एक नाम है। यह पर्व प्रभु श्रीराम के काल में भी मनाया जाता था और श्रीकृष्‍ण के काल में भी। माता द्वारा महिषासुर का वध करने के बाद से ही असत्‍य पर सत्‍य की जीत का पर्व विजयादशमी के रूप में मनाया जानें लगा।














2. श्रीराम ने किया था रावण वध : वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम ने ऋष्यमूक पर्वत पर आश्‍विन प्रतिपदा से नवमी तक आदिशक्ति की उपासना की थी। इसके बाद भगवान श्रीराम इसी दिन किष्किंधा से लंका के लिए रवाना हुए थे। यह भी कहा जाता है कि रावण वध के कारण दशहरा मनाया जाता है। दशमी को श्रीराम ने रावण का वध किया था। श्रीराम ने रावण का वध करने के पूर्व नीलकंठ को देखा था। नीलकंठ को शिवजी का रूप माना जाता है। अत: दशहरे के दिन इसे देखना बहुत ही शुभ होता है। रावण का वध करने के बाद से ही यह पर्व बुराई पर अच्‍छाई की जीत की खुशी में मनाया जानें लगा।


विजयादशमी कृतज्ञता का दिन है। इस दिन हमने जीवन में जो भी कुछ प्राप्त किया है, उसके लिए हम कृतज्ञ होते हैं।
 हिंदू परंपरा में नवरात्रि के दौरान और दशहरा से एक दिन पहले शस्त्रों की पूजा की मान्यता है। अभी भी काफ़ी लोग इसे से परिचित नहीं हैं। 


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की परंपरा सदियों पुरानी है। आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी को शस्त्र का पूजन किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के पूजन के बाद दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। विजयदशमी पर मां दुर्गा का पूजन किया जाता है। मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं। भारत की रियासतों में शस्त्र पूजन धूम-धाम से मनाया जाता था। अब रियासतें तो नही रहीं लेकिन परंपराएं शाश्वत हैं, यही कारण है कि इस दिन आत्मरक्षार्थ रखे जाने वाले शस्त्रों की भी पूजा की जाती है। हथियारों की साफ-सफाई की जाती है और उनका पूजन होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले कामों का शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है। यह भी कहा जाता है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा करनी चाहिए।
शस्त्र पूजन को दुसरा नाम "आयुध पूजा" भी हैं।














शस्त्र पूजा क्या है ?
यह वह दिन है जिसमें हम शस्त्रों को पूजते हैं और उनके प्रति कृतज्ञ होते हैं. क्योंकि इनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है। इस दिन क्षत्रिय अपने शस्त्रों की, शिल्पकार अपने उपकरणों की पूजा करते हैं, कला से जुड़े लोग अपने यंत्रों की पूजा करते हैं. दक्षिण भारत में इस दिन सरस्वती पूजा होती है।


शस्त्र पूजा का महत्व:
शस्त्र पूजा का संबंध मां दुर्गा से हैं। इसे नवरात्रि में मनाया जाता है। मान्यता है कि दशहरा से पहले आयुध पूजा में शस्त्र, यंत्र और उपकरणों का पूजन करने से हर कार्य में सफलता मिलता है

 प्राचीन काल में क्षत्रिय युद्ध पर जाने के लिए दशहरा का दिन चुनते थे, ताकि विजय का वरदान मिले। इसके अलावा पौराणिक काल में ब्राह्मण भी दशहरा के ही दिन विद्या ग्रहण करने के लिए अपने घर से निकलते थे और व्यापारी वर्ग भी दशहरा के दिन ही अपने व्यापार की शुरुआत करना अच्छा मानते थे। यही वजह है कि दशहरे से पहले आयुध पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है.
















आयुध पूजा का पर्व कैसे मनाते हैं 
इस दिन सभी यंत्रों की अच्छी तरह से सफाई कर उनकी पूजा की जाती है। कुछ भक्त देवी का आशीर्वाद लेने के लिए अपनी जीत की उपलब्धियों को यानि अपने उपकरण देवी के सामने रखते हैं। शस्त्र पूजा के दिन छोटी-छोटी चीज़ें जैसे पिन, चाकू, कैंची, वाद्य यंत्र, हथकल से लेकर बड़ी मशीनें, गाड़ियां, बस आदि सभी को पूजा जाता है।


शस्त्र पूजा का इतिहास: 
महिषासुर को परास्त करने के लिए समस्त देवताओं ने देवी दुर्गा को अपने-अपने शस्त्र प्रदान किए थे। महिषासुर जैसे शक्तिशाली राक्षस को को हराने के लिए देवों को अपनी समूची शक्तियां एक साथ लानी पड़ी। अपनी दस भुजाओं के साथ मां दुर्गा प्रकट हुईं, उनकी हर भुजा में एक हथियार था। महिषासुर और देवी के बीच नौ दिन तक लगातार युद्ध चलता रहा। दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। सभी शस्‍त्रों के प्रयोग का उद्देश्‍य पूरा हो जाने के बाद उनका सम्‍मान करने का समय था, उन्‍हें देवताओं को वापस लौटना भी था। इसलिए सभी हथियारों की साफ-सफाई के बाद पूजा की गई, फिर उन्‍हें लौटाया गया।इसी की याद में शस्त्र पूजा (आयुध पूजा)की जाती है।















Saturday, October 14, 2023

टीम इंडिया की 7 विकेट से शानदार जीत, विश्व कप में आठवीं बार पाकिस्तान को चटाई धूल


  संवाददाता - रोहिणी राजपूत













नीले समंदर में डूबे नरेंद्र मोदी स्टेडियम में रोहित शर्मा का बल्ला कुछ ऐसा चला कि पाकिस्तानी आक्रमण की धार कुंद हो गई और इस चर्चित मुकाबले में भारत ने शनिवार को सात विकेट से एकतरफा जीत दर्ज करके चिर प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ विश्व कप में जीत का रिकॉर्ड 8.0 कर लिया ।

इस मैच में भारत ने टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला लिया।  पाकिस्तान की टीम ने 42.5 ओवर में 191 रन बनाकर खेल समाप्त किया। जवाब में, भारत ने 30.3 ओवर में तीन विकेट गवाकर 192 रन बनाए और मैच अपने नाम किया। यह भारत की आठवीं जीत है जो विश्व कप इतिहास में पाकिस्तान के खिलाफ हुई है। इस टूर्नामेंट में अब तक भारत ने उनके खिलाफ नहीं हारा है। 












डेंगू से उभरकर लौटे शुभमन गिल (16) और विराट कोहली (16) शुरुवाती दौर मे आउट हो गए थे । इससे पहले भारत के लिये नयी गेंद संभालने वाले सिराज और बुमराह ने अपनी लैंग्थ में बदलाव करके सीम का पूरा फायदा उठाते हुए पाकिस्तान को बीच में ही पछाड़ दिया । कुलदीप यादव ने सऊद शकील (छह) और इफ्तिखार अहमद (चार) को लगातार आउट करके पाकिस्तान की परेशानियां और बढा दी।


*रोहित शर्मा ने की छक्कों की बारिश*

रोहित ने लगातार दूसरे मैच में शतक नहीं लगाया, जब वे अफगानिस्तान के खिलाफ 131 रनों की पारी खेले। मैच में उन्हे शतक लगाने का मौका था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके। रोहित ने 63 गेंदों पर 86 रन बनाए और पवेलियन लौटे। रोहित के बल्ले से छह चौके और छह छक्के भी लगे। इसी दौरान, उनकी स्ट्राइक रेट 136.51 रही। रोहित ने अपनी पारी के दौरान वनडे में 300 छक्के भी पूरे किए। उन्होंने पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी और वेस्टइंडीज के पूर्व ओपनर क्रिस गेल के बाद ऐसा करने वाले तीसरे बल्लेबाज बने।


*श्रेयस ने लगाया विजयी चौका*

रोहित शर्मा के आउट होने के बाद श्रेयस अय्यर ने केएल राहुल के साथ मिलकर मैच को समाप्त किया। दोनों बल्लेबाजों ने चौथे विकेट के लिए नाबाद 36 रन की साझेदारी की। अय्यर ने चौका लगाकर अपना अर्धशतक पूरा किया और मैच को समाप्त किया। वह 62 गेंद पर 53 रन बनाकर नाबाद रहे। अय्यर ने तीन चौके और दो छक्के लगाए। केएल राहुल 29 गेंद पर 19 रन बनाकर नाबाद रहे। उनके बल्ले से दो चौके निकले।

















टीम इंडिया के लिए पांच गेंदबाजों ने दो-दो विकेट लिए। जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, हार्दिक पांड्या, कुलदीप यादव और रवींद्र जडेजा ने दो-दो विकेट लिए। गेंदबाजी करने वालों में सिर्फ शार्दुल ठाकुर ही ऐसे रहे जिन्हें एक भी सफलता नहीं मिली। बुमराह को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।
नवरात्रि की तैयारी में जुटे शहर को भारत की जीत ने एक दिन पहले ही उत्सवमय कर दिया और मैदान पर भारी तादाद में जुटे दर्शकों के उल्लास ने इसकी बानगी दी कि जीत का जश्न स्टेडियम में थमने वाला नहीं है । वहीं टीवी के आगे नजरें गड़ाये बैठे देश के कोने कोने में क्रिकेटप्रेमियों के लिये त्योहार की शुरूआत आज ही से हो गई ।























Wednesday, October 11, 2023

नालंदा विश्वविद्यालय: एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर

संवाददाता -  रोहिणी राजपूत 













 



प्राचीन काल में भारतवर्ष शिक्षा के क्षेत्र में सबसे आगे हुआ करता था। नालंदा विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति और शिक्षा के महासागर में एक महत्वपूर्ण द्वीप है। यह विश्वविद्यालय भारतीय सांस्कृतिक और शैक्षणिक इतिहास का महत्वपूर्ण केंद्र था और अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ की शिक्षा-पद्धति पूरे विश्व में आश्चर्य का विषय थी। इसी वजह से नालंदा विश्वविद्यालय मे शिक्षा प्राप्त करने के लिए लोग तिब्बत, तुर्की, जापान, चीन, इंडोनेशिया, तिब्बत, फारस तथा कोरिया जैसे देशों से भारत आते थे।


 यहाँ प्रवेश लेने के लिए तीन स्तरों वाली बहुत ही कठिन प्रवेश परीक्षा हुआ करती थी। अत्यंत प्रतिभाशाली छात्र ही इन परीक्षाओं में सफल होकर यहाँ प्रवेश पाते थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने यहाँ आकर शिक्षा प्राप्त की और यहाँ के जीवन के बारे में अपनी किताब में लिखा।


प्राचीन भारत में बहुत से विश्वविद्यालय हुआ करते थे जिनमे से एक महान विश्वविद्यालय नालन्दा भी था जो कि अपनी समृद्ध विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए पूरे विश्व में जाना जाता था। नालन्दा विश्वविद्यालय बिहार राज्य जिसे पहले मगध के नाम से जाना जाता था की राजधानी पटना के 95 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व बिहार शरीफ के पास स्थित हैं। 1193 में आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट कर दिए जाने के बाद आज बस यहाँ पर इसके खंडहर बचे है जिसे यूनेस्को के द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया है।













नालन्दा विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे पुराने और बेहतरीन आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक था। उस समय यहाँ पर करीब 10,000 छात्र और 2000 शिक्षक रहते थे। नालंदा विश्वविद्यालय में तीन लाख किताबों से भरा एक विशाल पुस्तकालय, तीन सौ से भी ज्यादा कमरें और सात विशाल कक्ष थे। इसका भवन बहुत ही सुंदर और विशाल था जिसकी वास्तुकला भी अत्याधिक सुंदर थी।


प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में एक मुख्य प्रवेश द्वार था बाकी का सारा परिसर चारदीवारी से घिरा हुआ था। परिसर में अनेक स्तूप, मठ और मंदिर थे इन मंदिर में भगवान बुद्ध की मूर्तियाँ विराजमान थीं। आज इस सुंदर भवन का बस खंडहर ही बाकी है पर इससे भी इस भवन की सुंदरता का अंदाज लग जाता है।


 यहाँ के विशाल पुस्तकालय में विदेशी आक्रान्ताओं के द्वारा आग लगा दी गई थी तो यह किताबें 6 महीने तक जलती रही थीं।
जो नालंदा विश्वविद्यालय कभी बहुत ही विशाल क्षेत्र में फैला था, वह अब सिमट कर केवल लगभग 12 हेक्टेयर का खंडहर रह गया है। नालंदा में सभी तरह के विषय पढ़ाए जाते थे जिन्हे पढ़ने के लिए कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, फारस और तुर्की के विद्यार्थीऔर विद्वान दोनों ही आते थे।
















भारतीय गणित के जनक माने जाने वाले आर्यभट्ट के बारे में अनुमान लगाया जाता है कि वे छठी शताब्दी की शुरुआत में नालंदा विश्वविद्यालय के प्रमुख थे। कोलकाता स्थित गणित की प्रोफेसर अनुराधा मित्रा ने बताया, "आर्यभट्ट पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने शून्य को एक अंक के रूप में मान्यता दी। उनकी आवधारणा से बहुत बड़े बदलाव देखने को मिले। चाणक्य ने गणितीय गणनाओं को सरल बनाया और बीजगणित एवं कैलकुलस जैसे अधिक जटिल गणित को विकसित करने में मदद की, शून्य के बिना तो हमारे पास कंप्यूटर भी नहीं होते।"


प्रोफेसर मित्रा आर्यभट्ट के योगदान को रेखांकित करते हुए कहती हैं, "उन्होंने वर्गों और घनों की श्रेणी संबंधित अहम सिद्धांत दिए। ज्यामिति और त्रिकोणमिती का बखूबी इस्तेमाल किया। खगोल विज्ञान में भी उनका योगदान अहम था, वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कहा था कि चंद्रमा की अपनी रोशनी नहीं है।


नालन्दा पुस्तकालय के अवशेष 
रत्नोदधि नौ मंजिला ऊंची थी और इसमे प्रज्ञापारमिता सूत्र और गुह्यसमाज सहित सबसे पवित्र पांडुलिपियों को रखा गया था। नालंदा में मौजूद किताबों की संख्या सटीक रूप से तो नहीं पता है फिर भी अनुमान के हिसाब से इनकी संख्या लाखों में मानी जाती है। इस पुस्तकालय ने न केवल धार्मिक पांडुलिपियां बल्कि व्याकरण, तर्क, साहित्य, ज्योतिष, खगोल विज्ञान और चिकित्सा जैसे विषयों पर अनेकों ग्रंथ भी मौजूद थे। नालंदा पुस्तकालय किताबों को सही तरीके से रखने के लिए अवश्य ही संस्कृत भाषाविद्, पाणिनि द्वारा बनाई गई वर्गीकरण योजना का प्रयोग करता था।














*आक्रमणकारियों द्वारा विध्वंश:*


इस विश्वविद्यालय पर तीन-तीन बार आक्रमण किए गए जिसके बाद दो बार इसे उस समय राज्य करने वाले राजाओं ने फिर से बनवा दिया पर जब तीसरी बार हमला हुआ जो कि अब तक का सबसे बड़ा और विनाशकारी हमला था।



*नालंदा विश्वविद्यालय का महाविनाश*


इस हमले में यहाँ के पुस्तकालय की काफी सारी किताबें और दुर्लभ ग्रंथ जल गए थे। माना जाता है की इस विश्वविद्यालय के विनाश से ही भारत में बौद्ध धर्म का भी पतन होना शुरू हो गया।


पहला हमला:

इस विश्वविद्यालय पर पहला हमला सम्राट स्कंदगुप्त के समय में 455-467 ईस्वी में हुआ था। यह हमला मिहिरकुल के तहत ह्यून की वजह से हुआ था। इस हमले में विश्वविद्यालय की इमारत के सात-साथ पुस्तकालय को भी काफी नुकसान पहुँचा था। बाद में स्कंदगुप्त के उत्तराधिकारीयों के द्वारा पुस्तकालय की मरम्मत करवा दी गई और एक नई बड़ी इमारत बनवा दी गई।



दूसरा हमला:

इस विश्वविद्यालय पर दूसरा हमला 7वीं शताब्दी की शुरुआत में गौदास ने किया था। उस समय बौद्ध राजा हर्षवर्धन का शासन हुआ करता था। 606-648 ईस्वी में उन्होंने इस विश्वविद्यालय की मरम्मत करवाई थी।


तीसरा और सबसे विनाशकारी हमला:

इस विनाशकारी हमले के समय यहाँ पल राजवंश का राज्य हुआ करता था। मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी, जो की एक तुर्क सेनापति था, उस समय अवध में तैनात था। इख्तियारुद्दीन मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी और उसकी सेना ने लगभग 1193 सी ई में, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था।
उसने पुस्तकालय की किताबों को आग लगा दी। जो कुछ भी वहाँ था उसे लूट लिया विश्वविद्यालय में रह रहे हजारों भिक्षुओं और विद्वानों को इसलिए जला कर मार दिया क्योंकि वह इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार करना चाहता था और उसे बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार से चिढ़ थी। इन बातों का जिक्र फारसी इतिहासकार ‘मिनहाजुद्दीन सिराज’ द्वारा लिखी गई किताब ‘तबाकत-ए-नासिरी’ में मिलता है ।



*#खिलजी ने नष्ट की नालंदा विश्वविद्यालय*

खिलजी के द्वारा नालंदा के पुस्तकालय को जलाने के पीछे एक कहानी प्रसिद्ध है। कहा जाता है की खिलजी एक बार बुरी तरह से बीमार पड़ गया। सबने उसे नालंदा विश्वविद्यालय के वैद्य आचार्य राहुल श्रीभद्र से इलाज करवाने के लिए कहा पर खिलजी को ना तो आयुर्वेद पर ना वैद्यों पर जरा भी भरोसा था। उसने वैद्य जी के सामने कोई भी दवा ना खाने की शर्त रख दी।
वैद्य जी तैयार हो गए उन्होंने कहा कि आप कुरान के इतने पन्ने पढ़ लीजिएगा आप ठीक हो जाएंगे और ऐसा ही हुआ।ठीक होने के बाद उसने सोचा की इस तरह से तो भारतीय विद्वान और शिक्षक पूरी दुनिया में मशहूर हो जाएंगे। भारत से बौद्ध धर्म और आयुर्वेद के ज्ञान को मिटाने के लिए उसने नालंदा विश्वविद्यालय और इसके पुस्तकालय में आग लगा दी और हजारों धार्मिक विद्वानों और बौद्ध भिक्षुओं को भी मार डाला।




Disclamer : यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यता, सूचनाओं और हमारे व्यक्तिगत स्तर जाच पर आधारित है।













Wednesday, October 4, 2023

क्या रोहिणी आयोग की जातिवाद जनगणना रिपोर्ट,भाजपा के लिए एक चुनौती बनेगी?


  संवाददाता - रोहिणी राजपूत














"बिहार जातिवादी जनगणना सर्वे की रिपोर्ट के साथ-साथ रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की संभावना भी बढ़ गई है। कुछ पार्टी समर्थकों का मानना है कि भाजपा इसे विपक्ष के 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिसदारी' के नैरेटिव का मुकाबला करने के लिए उपयोग कर सकती है।"


*क्या हैं रोहिणी आयोग?*


"रोहिणी आयोग" का गठन अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए बनाया गया था जिसमें चार सदस्य थे। यह आयोग उनकी जांच करता था कि कैसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को विभिन्न उप-वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसका अध्यक्ष जी. रोहिणी थे, जो दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश थे। इस आयोग की स्थापना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 340 के अनुसार की गई थी।"












*आयोग का उद्देश्य क्या था?*


यह आयोग जांचता था कि ओबीसी जातियों के बीच आरक्षण के लाभों का न्यायिक वितरण कैसे किया जा सकता है। इसके साथ ही, इस आयोग को ओबीसी के उप-वर्गों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से काम करने की भी जिम्मेदारी दी गई थी, जो मानदंडों और मापदंडों पर आधारित था। इसके अलावा, यह आयोग ओबीसी की केंद्रीय सूची में कई प्रविष्टियों का अध्ययन करता था और उनमें दिख रही गलतियों के सुधार की सिफारिश करता था।"


*इसकी रिपोर्ट का क्या हुआ?*


आयोग की शुरुआत 11 अक्टूबर 2017 को हुई थी, जिसे न्यायाधीश (सेवानिवृत) जी. रोहिणी ने अध्यक्षता की। उसने सभी राज्यों, संघ शासित क्षेत्रों और पिछड़ा वर्ग आयोगों के साथ ओबीसी की उप-श्रेणीकरण पर चर्चा की। आयोग ने कार्यकाल की मांग की थी कि यह 31 जुलाई 2020 तक बढ़ा दिया जाए, लेकिन कोविड-19 के कारण लॉकडाउन और यात्रा पर रोक लगने के बाद, आयोग ने अपने काम को पूरा करने में समस्याएं आईं। इसलिए, आयोग के कार्यकाल को 14 बार बढ़ा दिया गया। आखिरकार, रोहिणी आयोग ने 31 जुलाई 2023 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी। लेकिन अभी तक रिपोर्ट की सुधारों और सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया गया है।"


*रिपोर्ट लागू होने से किसे लाभ होगा?*


रोहिणी आयोग की रिपोर्ट से उन लोगों को फायदा होगा जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) में आते हैं, क्योंकि यह रिपोर्ट उनकी समृद्धि में मदद करेगी। अभी तक, केंद्र सरकार की ओबीसी आरक्षण योजना से केंद्र सरकारी पदों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए उन्हें सही लाभ नहीं मिला था। अब आसमान पर उठे ऐसे समुदायों को भी इस योजना का लाभ मिलने की संभावना है।जब रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी गई है, तो अगला कदम क्या होगा?
आयोग की रिपोर्ट आने के बाद, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय देखेगा कि कैसे सभी ओबीसी वर्गों के लोगों के बीच केंद्र सरकार की नौकरियों और संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण का योगिक वितरण किया जा सकता है।"















*रिपोर्ट कब लागू होगी और इसका 2024 के लोकसभा चुनावों पर क्या असर हो सकता है?*


बिहार में जाति जनगणना सर्वे की रिपोर्ट सोमवार को जारी की गई। साथ ही, रोहिणी आयोग की रिपोर्ट लागू करने की संभावना बढ़ गई है। बातचीत है कि सरकार रोहिणी आयोग की सिफारिशों को लागू कर सकती है। कुछ लोगों का मानना है कि यह 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़ा बदलाव ला सकता है। भाजपा इसे विपक्ष के 'जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिसदारी' के नारेटिव का मुकाबला करने के लिए उपयोग कर सकती है और ओबीसी वर्ग की अति पिछड़ी जातियों के बीच अपने समर्थन को और मजबूत कर सकती है।


कुछ रणनीतिकारों का विचार है कि जाति जनगणना से ऐसी जानकारी मिल सकती है जिससे भाजपा को कई मुश्किलें आ सकती हैं। यह न केवल जातिगत जनगणना की मांग को बढ़ावा देगा बल्कि विपक्ष के नरेटिव को भी कमजोर करेगा।"














जाति जनगणना से विपक्षी गठबंधन को मिली आसान राह, कांग्रेस का नया प्लान

 

 संवाददाता - रोहिणी राजपूत 


















बिहार में जाति आधारित जनगणना ने राजनीतिक दायरे में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया है। सोमवार को, नीतीश सरकार ने इस जनगणना की रिपोर्ट जारी की, जिसमें उन्होंने जिस जाति की जनगणना कराई थी, उसकी विवरण प्रस्तुत की गई है। यह जानकारी देश की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है। इस जनगणना के परिणामों का विशेष महत्व है, क्योंकि ये जानकारी राजनीतिक दलों के लिए आमजन की पसंदीदा जातियों और उनकी मांगों का आकलन करने में मदद करेगी। यह भी देखा जाएगा कि इसके क्या प्रासंगिकता और प्रभाव होंगे देश की राष्ट्रीय राजनीति पर। 


राज्य की 14.26 फीसदी आबादी सिर्फ यादव जाति की
प्रदेश में सिर्फ तीन जातियां ऐसी जिनकी आबादी पांच फीसदी से ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सबसे ज्यादा आबादी वाली जाति यादव समुदाय की है। इस समाज की कुल आबादी 1,86,50,119 है। कुल जनसंख्या में इनकी हिस्सेदारी 14.26% है। रिपोर्ट में यादव जाति में ग्वाला, अहीर, गोरा, घासी, मेहर, सदगोप, लक्ष्मी नारायण गोला को रखा गया है।




इसके बाद दूसरी सबसे ज्यादा संख्या वाली जाति है जो दलित पासवान समुदाय से जुड़ी है। इनकी कुल आबादी 69,43,000 है। कुल जनसंख्या में इनकी हिस्सेदारी करीब 5.31% है। सरकार ने दुधास जाति में दुसाध, धारी, धरही का जिक्र किया है।
पांच फीसदी से ज्यादा आबादी वाली जातियों में तीसरी जाति चर्मरकार जाति की है। राज्य में इस समुदाय के कुल 68,69,664 लोग रहते हैं। जो राज्य की कुल जनसंख्या का करीब 5.25 फीसदी है। सर्वे में इस समुदाया में चमार, मोची, चमार - रबिदास, चमार - रविदास, चमार - रोहिदास, चर्मरकार का जिक्र किया गया है।












*जाति जनगणना इंडिया गठबंधन का अहम चुनावी मुद्दा*


वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में ओबीसी मतदाताओं के बड़े तबके ने भाजपा का समर्थन किया था । सीएसडीएस रिपोर्ट के मुताबिक बस 2019 में रसूख वाली ओबीसी जातियों के 40 फ़ीसदी वोटरों ने भाजपा को वोट किया था। ऐसे में जाति जनगणना के मुद्दे पर I.N.D.I.A ओबीसी में सेंध लगा सकते हैं।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि बिहार सरकार के जाति जनगणना की रिपोर्ट का स्वागत और कांग्रेस शासित कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों में इस तरह की पहले के सर्वेक्षणों को याद करते हुए कांग्रेस जाति जनगणना की मांग करती है। यूपीए–2 सरकार ने जनगणना को पूरा कर लिया था पर मोदी सरकार ने आंकड़े जारी नहीं किए। सामाजिक न्याय के लिए जाति जनगणना बेहद जरूरी है।


इसी बीच पक्ष और विपक्ष पार्टियों में सियासत शुरू हो गई है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जगदलपुर में विशाल रैली को संबोधित करने के दौरान उन्होंने जमकर कांग्रेस पर निशाना साधा और जातिगत जनगणना को लेकर विरोधी पार्टियों को घेरा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कल से कांग्रेस ने एक नया राग गाना शुरू कर दिया हैं। जब कांग्रेस कह रही है कि जितनी आबादी, उसका उतना हक। पीएम ने कहा मैं कहता हूं इस देश में अगर सबसे बड़ी कोई आबादी है, तो गरीब की है इसलिए गरीब कल्याण ही हमारा मकसद है।






























Monday, October 2, 2023

राष्ट्रपिता की जयंती पर पीएम मोदी ने राजघाट पहुंचकर दी, बापू को श्रद्धांजलि

 संवाददाता - रोहिणी राजपूत 














आज भारत को आजादी दिलाने वाले सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती है। प्यार और स्नेह से पूरा देश उन्हें बापू के नाम से पुकारता है। वहीं दूसरी और आज भारत, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी उनके जन्मतिथि पर याद कर रहा है।



राजघाट जाने से पहले पीएम मोदी ने X पर ट्वीट करते हुए कहा– ‘गांधी जयंती के विशेष अवसर पर मैं महात्मा गांधी को नमन करता हूं। उनकी कालजयी शिक्षाएं हमारा पथ आलौकित करती रहती हैं। महात्मा गांधी का प्रभाव वैश्विक है जो संपूर्ण मानव जाति को एकता और करुणा की भावना को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करी। कई हस्तियों जैसे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी 154वी जयंती पर राजघाट में महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित की।



















प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजयघाट पहुंचकर पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी पुष्पांजलि अर्पित की। 
*‘जय जवान, जय किसान’*
पीएम ने X पर ट्वीट करते हुए लिखा– ‘लाल बहादुर शास्त्री जी को उनकी जयंती पर स्मरण। उनकी सादगी, राष्ट्र के प्रति समर्पण और जय जवान जय किसान का प्रतिष्ठित आह्वान आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करता है।’


इस मौके पर राजधानी दिल्ली स्थित राजघाट पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जबकि दूसरी ओर दिल्ली में पश्चिम बंगाल के मनरेगा फंड की मांग को लेकर टीएमसी आज शक्ति प्रदर्शन करने जा रही है।
























वीर सावरकर की वीरगाथाः काले पानी की सजा से लेकर स्वतंत्रता के संघर्ष तक

 संवाददाता - रोहिणी राजपूत वीर सावरकर, जिनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था, भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, और समाज सुधारक थे। उनका...